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ग़ज़ल
हमारे बा'द अब महफ़िल में अफ़्साने बयाँ होंगे
बहारें हम को ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
पीत में ऐसे लाख जतन हैं लेकिन इक दिन सब नाकाम
आप जहाँ में रुस्वा होगे वाज़ हमें फ़रमाते हो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बे-ज़बाँ होगी
वो ज़ालिम आसमाँ जाने मिरी दुनिया कहाँ होगी
राजेन्द्र कृष्ण
ग़ज़ल
चराग़-ए-ज़िंदगी होगा फ़रोज़ाँ हम नहीं होंगे
चमन में आएगी फ़स्ल-ए-बहाराँ हम नहीं होंगे
अब्दुल मजीद सालिक
ग़ज़ल
इक यही ग़म खाए जाता है कि उस का होगा क्या
कौन रक्खेगा मिरा हुस्न-ए-यक़ीं मरने के बाद
गणेश बिहारी तर्ज़
ग़ज़ल
मत कहो क़िस्मत है अपनी बे-दिली नाग़ुफ़्तनी
फिर सहर होगी दरख़्शाँ फिर भले आएँगे लोग
किश्वर नाहीद
ग़ज़ल
कुछ और गुमरही-ए-दिल का राज़ क्या होगा
इक अजनबी था कहीं रह में खो गया होगा
सूफ़ी ग़ुलाम मुस्ताफ़ा तबस्सुम
ग़ज़ल
रफ़्ता रफ़्ता मिरी ख़ुद्दारी से वाक़िफ़ होगे
अभी कुछ दिन मिरे अंदाज़-ए-मोहब्बत समझो