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ग़ज़ल
अश्क-बारी हुब्ब-ए-अहमद उन्स-ए-मख़लूक़-ए-जहाँ
ये हैं अजज़ा-ए-सलासा इन से दिल ता'मीर कर
नज़र लखनवी
ग़ज़ल
मैं मस्त-ए-बादा-ए-हुब्ब-ए-अली हूँ ऐ 'अंजुम'
कभी बहक न सके जो वो बादा-ख़्वार हूँ मैं
मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम
ग़ज़ल
न हुब्ब-ए-जाह-ओ-हशम है न माल-ओ-ज़र की तलाश
दर-ए-फ़क़ीर पे किस ने ये ताज रक्खा है
शोएब अहमद ख़ान शोएब
ग़ज़ल
क़लम को मुस्तइद-ए-हुब्ब-ए-जाह लिख लीजे
मिरे गुनाहों में और इक गुनाह लिख लीजे
मोहम्मद तारिक़ ग़ाज़ी
ग़ज़ल
कहाँ का जज़्बा-ए-हुब्ब-ए-वतन कहाँ का ख़ुलूस
बस इक़्तिदार का चक्कर है क्या किया जाए
फ़ाख़िर जलालपुरी
ग़ज़ल
ग़ज़ल में बात न दैर-ओ-हरम की हो लेकिन
दिलों में दफ़्तर-ए-हुब्ब-ए-बुताँ लिए फिरना
उरूज़ अख़्तर ज़ैदी
ग़ज़ल
अब वो रंग-ए-बादा-ए-उल्फ़त इलाही क्या हुआ
जोशिश-ए-हुब्ब-ए-वतन जो दिल के पैमाने में था
प्यारे लाल रौनक़ देहलवी
ग़ज़ल
इधर आओ मय-ए-हुब्ब-ए-वतन की चाशनी चक्खो
सदा 'कैफ़ी' की है ये ख़्वाहिश-ए-जाम-ए-फ़ुग़ाँ कब तक
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
हर एक लम्हा हयात का हो चराग़-ए-हुब्ब-ए-नबी से रौशन
सना-ए-रब में ही नींद आए उठो सहर की अज़ान बन कर