aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "hud-hud"
पोरों पोरों ज़ख़्म हुई हूँख़्वाबों की सीढ़ी से गिरी हूँ
भूला-बिसरा ख़्वाब हुए हमकुछ ऐसे नायाब हुए हम
दुख का मंतर पढ़ी हुई हूँमैं ग़ुर्बत में बड़ी हुई हूँ
सोच लीजे क्यों 'अज़ाब आया था क़ौम-ए-हूद परऔर फिर कुछ ग़ौर कीजे लम्हा-ए-मौजूद पर
ब-ज़ाहिर है हँसी होंटों पे मेरेमगर अंदर से मैं टूटा हुआ हूँ
जाने ऐ दोस्त क्या हुआ हम कोतेरा ग़म भी न अब रहा हम को
सफ़र के तसव्वुर से सहमा हुआ हूँबड़ी देर से यूँ ही ठहरा हुआ हूँ
हुआ हूँ इन दिनों माइल किसी कान था मैं इस क़दर घाइल किसी का
खुली आँखें हैं पर सोया हुआ हूँतुम्हारी याद में डूबा हुआ हूँ
कहाँ दिन रात में रक्खा हुआ हूँअजब हालात में रक्खा हुआ हूँ
थका-हारा हुआ हूँ मत कहो कुछग़मों में मुब्तला हूँ मत कहो कुछ
मैं जागी हुई कि सोई हुई हूँख़यालों के सहरा में खोई हुई हूँ
सिलसिला-वार त'अल्लुक़ को निभाते हुए हमतुझ तलक आ ही गए मिलते मिलाते हुए हम
हैं अब इस फ़िक्र में डूबे हुए हमउसे कैसे लगे रोते हुए हम
भूली-बिसरी यादों को लिपटाए हुए हूँटूटा जाल समुंदर पर फैलाए हुए हूँ
डूबा हुआ हूँ दर्द की गहराइयों में भीमैं ख़ंदा-ज़न हूँ खोखली दानाइयों में भी
पिघलते जिस्मों की रौशनी से डरा हुआ हूँमैं छू रहा हूँ जिसे उसी से डरा हुआ हूँ
कुछ और अकेले हुए हम घर से निकल करये लहर कहाँ जाए समुंदर से निकल कर
दूर भी जाते हुए पास भी आते हुए हमभूलते भूलते कुछ याद दिलाते हुए हम
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