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ग़ज़ल
इतनी भी दिल से एहतियात बर्क़-ए-जमाल-ए-यार क्या
शौक़-ए-उमीद-वार देख तरफ़-ए-उमीद-वार क्या
मुनीर भोपाली
ग़ज़ल
मताअ'-ए-हुस्न-ओ-जमाल-ओ-कमाल क्या क्या कुछ
चुरा के ले गए ये माह-ओ-साल क्या क्या कुछ
सय्यद सलमान गीलानी
ग़ज़ल
तुझ पर फ़िदा हैं सारे हुस्न-ओ-जमाल वाले
क्या साफ़ गाल वाले क्या ख़त्त-ओ-ख़ाल वाले