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ग़ज़ल
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
ईफ़ा-ए-अहद है कि क़यामत का शोर है
तुम खुल के कह न दो कि ज़बाँ हम ने दी नहीं
मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़
ग़ज़ल
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
जो तू ने हज़ारों वादे किए लेकिन वो कभी ईफ़ा न हुए
दिल ही हैं रहे अरमान मिरे ऐ वादा-शिकन बुत हीला-गिरे
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
बड़ा बद-अहद है इस शोहरत-ए-ईफ़ा-ए-वादा पर
अगर मशहूर तू पैमाँ-शिकन होता तो क्या होता
अफ़सर इलाहाबादी
ग़ज़ल
क्या कहिए मोहब्बत में अजब हाल है अपना
नज़रें हैं कहीं और तो दिल और कहीं है