aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "imaarat"
रूह ने इश्क़ का फ़रेब दियाजिस्म को जिस्म की अदावत में
तुझ गुमाँ पर जो इमारत की थीसोचता हूँ कि मैं ढा दूँ उस को
तिलिस्म-ए-गुंबद-ए-गर्दूं को तोड़ सकते हैंज़ुजाज की ये इमारत है संग-ए-ख़ारा नहीं
हम को अन्फ़ास की अपने है इमारत करनीइस इमारत की लबों पर तिरे बुनियाद रखें
कभी कभी कोई इंसान ऐसा लगता हैपुराने शहर में जैसे नई इमारत है
हाँ इजाज़त है अगर कोई कहानी और हैइन कटोरों में अभी थोड़ा सा पानी और है
तिरे एहसास की ईंटें लगी हैं इस इमारत मेंहमारा घर तिरे घर से कभी ऊँचा नहीं होगा
क्यूँ तिरे साथ रहीं उम्र बसर होने तकहम न देखेंगे इमारत को खंडर होने तक
हँसी मा'सूम सी बच्चों की कॉपी में इबारत सीहिरन की पीठ पर बैठे परिंदे की शरारत सी
शिकस्तगी में भी क्या शान है इमारत कीकि देखने को इसे सर उठाना पड़ता है
वो कहीं जान न ले रेत का टीला हूँ मैंमेरे काँधों पे है ता'मीर इमारत उस की
अब जहाँ तेरी इमारत की हदें मिलती हैंएक बुढ़िया का मकाँ था उसी जागीर के साथ
वो कभी न बन सकी है वो कभी न बन सकेगीकिसी दिल की जो इमारत तिरी बे-रुख़ी ने ढा दी
बाक़ी तो मुकम्मल है तमन्ना की इमारतइक गुज़रे हुए वक़्त का शीशा नहीं मिलता
ख़ूबसूरत है सिर्फ़ बाहर सेये इमारत भी आदमी सी है
बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती हैबहुत ऊँची 'इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है
दीदनी है शिकस्तगी दिल कीक्या इमारत ग़मों ने ढाई है
ऐसी कोई अजीब इमारत थी ज़िंदगीबाहर से झाँकता रहा अंदर नहीं गया
ख़ला में कोई इमारत कभी नहीं टिकतीवहाँ मकान बनाने की ज़िद नहीं करते
मिरी फ़ितरत किसी का भी तआवुन ले नहीं सकतीइमारत अपने ग़म-ख़ाने की मैं तन्हा बनाता हूँ
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books