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ग़ज़ल
इतनी देर में उजड़े दिल पर कितने महशर बीत गए
जितनी देर में तुझ को पा कर खोने का इम्कान हुआ
मोहसिन नक़वी
ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
अब के जिस दश्त-ए-तमन्ना में क़दम रक्खा है
दिल तो क्या चीज़ है इम्काँ है कि सर भी जाए