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ग़ज़ल
ये भी अनोखी बात है यारो मतलब कैसे समझा जाए
इमली के खट्टे पानी पर शहद की मक्खी रक्खी है
इन्तिज़ार ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
अम्बी भुट्टे गन्ना ककड़ी खेत पेड़ पगडंडी छाँव
बेर आम अमरूद-ओ-इमली याद आया है सब का सब
इसहाक़ असर
ग़ज़ल
दो फ़सलें दो नद्दी किनारे आपस में क्या उन का रिश्ता
घर में गिरी जब इमली पक कर बाग़ से तब अमरूद गया
नासिर शहज़ाद
ग़ज़ल
जाने कौनसा मौसम है ये चारों तरफ़ हरियाली है
तोते से मैना कहती है इमली कितनी मीठी है
जावेद अकरम फ़ारूक़ी
ग़ज़ल
मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं