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ग़ज़ल
हुस्न ख़ुद जल्वा-नुमाई पे है मजबूर मियाँ
जानिए इश्क़ को एक मुजरिम-ए-मा'ज़ूर मियाँ
इम्तियाज़ अली अर्शी
ग़ज़ल
हमारी महफ़िलों में बे-हिजाब आने से क्या होगा
नहीं जब होश में हम जल्वा फ़रमाने से क्या होगा
इम्तियाज़ अली अर्शी
ग़ज़ल
कौन गुलशन में रहे नर्गिस-ए-हैराँ की तरह
आओ चमका दें उसे मेहर-ए-दरख़्शाँ की तरह
इम्तियाज़ अली अर्शी
ग़ज़ल
फिर आस-पास से दिल हो चला है मेरा उदास
फिर एक जाम कि बरजा हों जिस से होश हवास
इम्तियाज़ अली अर्शी
ग़ज़ल
बात 'अर्शी' की नज़र आती है गर उथली सी
इम्तिहान इस का न क्यों क़िबला-ओ-काबा कर लें
इम्तियाज़ अली अर्शी
ग़ज़ल
अदा-ए-शुक्र कर के एहतिराज़ औला है ऐ 'अकबर'
हज़ारों आफ़तें शामिल हैं उन की मेहरबानी में
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
नबी के दीन की 'अज़्मत के वास्ते 'अफ़ज़ल'
तमाम नस्ल-ए-अली इम्तिहाँ से गुज़री है
अली अफ़ज़ल झंझानवी
ग़ज़ल
क़ुबा-ए-ज़र्द-ओ-सुर्ख़ का ये इम्तिज़ाज अल-अमाँ
जमाल को वो ले गया परे हद-ए-कमाल तक
अज़ीम हैदर सय्यद
ग़ज़ल
हम मअनी-ए-हवस नहीं ऐ दिल हवा-ए-दोस्त
राज़ी हो बस इसी में हो जिस में रज़ा-ए-दोस्त