आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "inkishaaf-e-shahr-e-naa-maaluum"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "inkishaaf-e-shahr-e-naa-maaluum"
ग़ज़ल
शहर-ए-ना-पुरसाँ में कुछ अपना पता मिलता नहीं
बाम-ओ-दर रौशन हैं लेकिन रास्ता मिलता नहीं
हसन आबिदी
ग़ज़ल
मैं जब पहले-पहल इस शहर-ए-ना-पुरसाँ में आया था
सभी अपने नज़र आते थे लेकिन कौन अपना था
रहमान ख़ावर
ग़ज़ल
क्या है जो क़र्ज़-ए-शहर-ए-जाँ आज अदा हो या न हो
आग लगी हो या नहीं ख़ून बहा हो या न हो
पीरज़ादा क़ासीम
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
ऐ ख़ुदा शहर-ए-मोहब्बत में कभी ऐसा न हो
भूक से बेताब कोई भी यहाँ बच्चा न हो
मंज़ूर-उल-हक़ नाज़िर
ग़ज़ल
'रश्क'-साहब मैं असीर-ए-जुर्म-ए-ना-मा'लूम हूँ
कैसे मुमकिन है मुझे नाकामियों की ख़ू न हो
सुलतान रशक
ग़ज़ल
इस कलीद-ए-इस्म-ए-ना-मा'लूम से कैसे खुले
दिल का दरवाज़ा कि अंदर से मुक़फ़्फ़ल हो गया