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ग़ज़ल
मैं ऐसे शख़्स से 'अरशद' गुरेज़ कैसे करूँ
फ़सील-ए-दिल में जो दस्तक से दर निकालता है
अरशद महमूद अरशद
ग़ज़ल
तो क्या ये ख़्वाब किनारे न लग सकें 'इरशाद'
तो क्या ये मौज-ए-तमन्ना-ए-दिल उतर जाए
इरशाद अहमद नियाज़ी
ग़ज़ल
हुस्न-ए-दिल तोड़ के ममदूह-ए-जहाँ है 'अरशद'
हाए ये ख़ू-ए-दिल-आराम ख़ुदा ख़ैर करे
मोहम्मद अरशद आज़मी
ग़ज़ल
फ़िक्र-ए-शे'री के लिए 'अरशद' चमन जाता हूँ जब
साथ होती हैं मिरे अक्सर ग़ज़ल-ख़्वाँ तितलियाँ
जमील अरशद खाँ अरशद
ग़ज़ल
हाथ अब खींच ही लो आह-ओ-फ़ुग़ाँ से 'अरशद'
क्या न मर जाओगे तुम इन में असर होने तुक
मोहम्मद अरशद आज़मी
ग़ज़ल
नहीं मजाल-ए-सुख़न उस के रू-ब-रू 'अरशद'
कहाँ से लाऊँ मैं ताब-ओ-तवाँ ज़बाँ के लिए