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ग़ज़ल
समुंदर से किसी लम्हे भी तुग़्यानी नहीं जाती
मगर साहिल को ग़म है ख़ुश्क-दामानी नहीं जाती
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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समुंदर से किसी लम्हे भी तुग़्यानी नहीं जाती
मगर साहिल को ग़म है ख़ुश्क-दामानी नहीं जाती