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ग़ज़ल
पस्तियाँ पंजों के बल उछली तो क़ीमत बढ़ गईं
अज़्मतें बाज़ार में पहुँचीं तो अर्ज़ां हो गईं
फ़रूक़ अरगली
ग़ज़ल
कहाँ तक इस्मतें नीलाम होंगी बे-सहारों की
बहेगा शाह-राहों पे ग़रीबों का लहू कब तक
ख़लील फ़रहत करंजवी
ग़ज़ल
अक़्ल की मंज़िलत के साथ अक़्ल की मंज़िलें भी हैं
इल्म की इस्मतें बचा जहल की अबतरी न देख
शहाब सर्मदी
ग़ज़ल
देख कर ज़र्रों को तारे रक़्स फ़रमाने लगे
आसमाँ वाले ज़मीं वालों का गुन गाने लगे
शिफ़ा ग्वालियारी
ग़ज़ल
बशीर बद्र
ग़ज़ल
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है