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ग़ज़ल
माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
बार तकलीफों का मुझ पर बार-ए-एहसाँ से है सहल
शुक्र की जा है अगर हाजत-रवा मिलता नहीं
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ छाले की टपक को समझाऊँ
इज़हार-ए-मोहब्बत करते हो एहसास-ए-मोहब्बत क्या जानो
आले रज़ा रज़ा
ग़ज़ल
वो जो शे'रों में है इक शय पस-ए-अल्फ़ाज़ 'नदीम'
उस का अल्फ़ाज़ में इज़हार नहीं हो सकता