aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jaavaa"
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने सेआ गया था मिरे गुमान में क्या
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
दुनिया देखी कब बच्चों नेसी सी प्लस प्लस जावा देखा
दश्त-ए-तन्हाई में हम ख़ाक उड़ा देते हैंशब की ख़ामोशी में यादों को सदा देते हैं
दर्द-ए-दिल के लिए कुछ ऐसी दवा ली हम नेटीस गर कम भी हुई और बढ़ा ली हम ने
हमारे जिस्म ने जिस जिस्म को बुलाया हैवो रूह बन के खड़ा दूर मुस्कुराया है
जो दूर से हमें अक्सर ख़ुदा सा लगता हैवही क़रीब से कुछ आश्ना सा लगता है
कहाँ कहाँ से निगह उस को ढूँड लाए हैकिसी के साथ सही वो नज़र तो आए है
सलीब लाद के काँधे पे चल रहा हूँ मैंहिसार-ए-ज़ात से बाहर निकल रहा हूँ मैं
शहर-ए-दिल सुलगा तो आहों का धुआँ छाने लगाशबनमी आँचल मगर यादों का लहराने लगा
सब घरों में तो चराग़ों का उजाला होगालेकिन अफ़्सुर्दा फ़क़त रात का चेहरा होगा
आया था कोई ज़ेहन तक आ कर पलट गयालेकिन बिसात-ए-दिल तो हमारी उलट गया
आरज़ूओं के शगूफ़ों को जला कर देखोकितनी ख़ालिस है मोहब्बत पे तपा कर देखो
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइ'ज़पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले
इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जाकि तेरे ज़मान ओ मकाँ और भी हैं
तू कि यकता था बे-शुमार हुआहम भी टूटें तो जा-ब-जा हो जाएँ
तुझ से कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मिराऔर तिरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है
जो गुज़ारी न जा सकी हम सेहम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
तिरे वा'दे पर जिए हम तो ये जान झूट जानाकि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता
इस तरह अपनी ख़ामुशी गूँजीगोया हर सम्त से जवाब आए
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