आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "jang turki o unan"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "jang turki o unan"
ग़ज़ल
दयार-ए-इश्क़ है ये ज़र्फ़-ए-दिल की जाँच होती है
यहाँ पोशाक से अंदाज़ा-ए-इंसाँ नहीं होता
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
बदल रहे हैं मिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल 'तुर्क' अभी
मुसलसल आईना तावील कर रहा है मुझे
ज़ियाउल मुस्तफ़ा तुर्क
ग़ज़ल
रहा है शोर उन का बाइ'स-ए-जंग-ओ-जदल बरसों
कहीं अब ज़िक्र-ए-नाक़ूस-ओ-अज़ाँ बाक़ी न रह जाए
शर्म लखनवी
ग़ज़ल
मैं समझता हूँ कि दोनों ही हैं जुज़्व-ए-कायनात
जंग-ओ-शर अपनी जगह अम्न-ओ-अमाँ अपनी जगह
रहबर जौनपूरी
ग़ज़ल
देते हैं नफ़रत का उजाला नफ़रत के नापाक दिए
क्यों न बुझाए तू ने अब तक वक़्त-ए-अज़ाँ है जाग हवा
शौक़ असर रामपुरी
ग़ज़ल
जाग रही है रूह-ए-आहन ख़्वाब में है इंसाँ का ज़मीर
बेदारी की सौ लहरें हैं फिर भी ये दुनिया नींद में है
रज़ी अख़्तर शौक़
ग़ज़ल
ग़म-ए-जानाँ से ढलता है ग़म-ए-दौराँ का आईना
ये वो क़ालिब है जिस में क़ल्ब-ए-इंसाँ जाग उठते हैं