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ग़ज़ल
ख़ूगर-ए-जौर-ए-मुसलसल हो गए क़ल्ब-ओ-जिगर
मुझ पर उन का भी करम है ग़ैर का एहसाँ भी है
बेदिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
लुत्फ़-ए-पैहम न सही जौर-ए-मुसलसल ही सही
हर तवज्जोह पे नवाज़िश का गुमाँ होता है
उरूज ज़ैदी बदायूनी
ग़ज़ल
कोई भी क़ैद-ए-मुसलसल मिरी क़िस्मत में न थी
मेरे सय्याद का दिल टूट गया है मुझ से
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
अजब शय है 'फ़ज़ा' ज़ेहन ओ नज़र की ये असीरी भी
मुसलसल देखते रहना बराबर सोचते रहना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
ग़म्ज़ा-ओ-नाज़-ओ-अदा मेहर-ओ-वफ़ा जौर-ओ-जफ़ा
सब के सब ख़ाना-बर-अंदाज़ नज़र आते हैं
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
मदद ऐ जज़्बा-ए-अश्क-ए-मुसलसल साँस लेने दे
सुखा लेने दे भीगी आस्तीं आहिस्ता आहिस्ता
रुख़्साना निकहत लारी उम्म-ए-हानी
ग़ज़ल
जौर-ओ-बे-मेहरी-ए-इग़्माज़ पे क्या रोता है
मेहरबाँ भी कोई हो जाएगा जल्दी क्या है