आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "jehd-e-paiham"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "jehd-e-paiham"
ग़ज़ल
उठी मौज-ए-सबा जुम्बाँ से शाख़-ए-आशियाँ पैहम
चली जाती है गोया कश्ती-ए-बुलबुल समुंदर में
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
ज़िंदगी इशरत-ए-पैहम ही नहीं है 'जौहर'
ज़िंदगी जेहद-ए-मुसलसल की तलबगार भी है
चंद्र प्रकाश जौहर बिजनौरी
ग़ज़ल
ऐ मुजाहिद जेहद-ए-रंग-ए-ख़ाकसारी है ज़रूर
तोड़ना लाज़िम है पहले इस बुत-ए-पिंदार को
सय्यद मसूद हसन मसूद
ग़ज़ल
यहाँ जादू-बयाँ कहते हैं अहल-ए-हर्फ़ को 'नासिर'
हुनर वाले हमेशा जेहद-ए-ला-हासिल में रहते हैं
नासिर मिस्बाही
ग़ज़ल
बशर ने ही नहीं समझे रुमूज़-ए-गर्दिश-ए-पैहम
रुमूज़-ए-गर्दिश-ए-पैहम मह-ओ-अख़्तर समझते हैं
कुलदीप गौहर
ग़ज़ल
गए वो दिन कि दिल सरमाया-दार-ए-दर्द-ए-पैहम था
मगर आँखों की अब तक मीर-सामानी नहीं जाती
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
जज़्बा-ए-जेहद-ओ-अमल से ज़िंदगी कोह-ए-गिराँ
बे-अमल हो ज़िंदगी तो रेत की दीवार है