aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jhanan"
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने सेआ गया था मिरे गुमान में क्या
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
अंतर्मन की सोचों काझनन झनन अंदाज़ नया
चंद ना-कर्दा गुनाहों के तवाफ़-ए-शौक़ मेंफ़िक्र-ओ-फ़न की इक झनन थी दायरा-दर-दायरा
सर में शायद झना-झन झनन उन की थीजिन गुनाहों का अब तक इरादा न था
झन झनन सी हो रही है आज फिर मन के गगनहर-नफ़स आवाज़ देती है मसाफ़त दूर की
तुझ से कुछ मिलते ही वो बेबाक हो जाना मिराऔर तिरा दाँतों में वो उँगली दबाना याद है
बज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूसजो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया
तिरे वा'दे पर जिए हम तो ये जान झूट जानाकि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए'तिबार होता
कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँफिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते
वो कौन था कि तुम्हें जिस ने बेवफ़ा जानाख़याल-ए-ख़ाम ये सौदा-ए-ख़ाम किस का था
किस तरह छोड़ दूँ तुम्हें जानाँतुम मिरी ज़िंदगी की आदत हो
तुम्हारे हिज्र की शब-हा-ए-कार में जानाँकोई चराग़ जला लूँ अगर इजाज़त हो
हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राबयही मुमकिन था इतनी उजलत में
तुम से जानाँ मिला हूँ जिस दिन सेबे-तरह ख़ुद से डर गया हूँ मैं
अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँयाद क्या तुझ को दिलाएँ तिरा पैमाँ जानाँ
उन से नज़रें क्या मिलीं रौशन फ़ज़ाएँ हो गईंआज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज़ है
नई उम्रों की ख़ुद-मुख़्तारियों को कौन समझाएकहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है
जो उन पे गुज़रती है किस ने उसे जाना हैअपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिनबैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किए हुए
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