aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jhapatnaa"
इक पल की पलक पर है ठहरी हुई ये दुनियाइक पल के झपकने तक हर खेल सुहाना है
आँख से न हटना तुम आँख के झपकने तकआँख के झपकने में देर कुछ तो लगती है
फाड़ खाता है जो ग़ैरों को झपट कर सग-ए-यारमैं ये कहता हूँ मिरे शेर तिरा क्या कहना
आँख तक भी अब झपकने की मुझे फ़ुर्सत नहींनक़्श है दीवार पर तस्वीर है बीनाई में
ये किस को तीर चलाने का शौक़ जाग उठावो बाज़ मेरी तरफ़ ही झपटने वाला था
तुम्हारी ख़ुशियाँ भी मेरी हैं ग़म भी मेरे हैंये माल-ए-मुफ़्त नहीं जो हर इक झपटने लगे
सुस्त रफ़्तार तारे भी आँखें झपकने लगेग़म के मारो घड़ी दो घड़ी सो रहो सो रहो
इन अँधेरों में पहुँच पाना बहुत दुश्वार थामैं तिरी आवाज़ पर पलकें झपकता आ गया
घूरता था मैं ख़ला में तो सजी थीं महफ़िलेंमेरा आँखों का झपकना मुझ को तन्हा कर गया
पल झपकने तक है ये हंगामा-ए-वारफ़्तगीजब नज़र से दूर होगे भूलते जाएँगे लोग
मुजरिम हुआ था आँख झपकने का मैं 'अदीम'जो ज़ेहन में बसा था नज़ारा गुज़र गया
ऐ बर्क़ की मानिंद गुज़रते हुए लम्होक्या आँख झपकने की भी मोहलत नहीं दोगे
एक मिरे आँख झपकने की ज़रा देर थी बसवो क़रीब आता हुआ दूर कहीं से निकला
जब उस को देखते रहने से थकने लगता हूँतो अपने ख़्वाब की पलकें झपकने लगता हूँ
अज़ाब होंगी पलक झपकने तलक की दूरीविसाल अपना भी ख़्वाब होगा ये तय कहाँ था
जिन को झपकना याद नहीं हैहैरत की हैं वो मारी आँखें
चंगुल-ए-बाज़ हैं तिरी मिज़्गाँताइर-ए-दिल को पल में ले है झपट
रंगों का इक बाग़-ए-हसीं चेहरा तेराक्या क्या देखूँ आँख झपकने वाला मैं
कोई पलक भी झपकता नहीं तमाशे मेंमदारियों का तिलिस्माना तौर है भाई
कोई नादिर ख़ज़ीना है मिरे दस्त-ए-तसर्रुफ़ मेंझपटने को दर-ओ-दीवार से बाज़ू निकलते हैं
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books