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ग़ज़ल
बरहमी पर हाए वो जुर्माना-हा-ए-जुर्म-ए-शौक़
वज्ह-ए-अफ़्ज़ूनी-ए-शौक़-ए-जुर्म हर जुर्माना था
बिस्मिल सईदी
ग़ज़ल
कह गईं राज़-ए-मोहब्बत पर्दा-दारी-हा-ए-शौक़
थी फ़ुग़ाँ वो भी जिसे ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ समझा था मैं
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
कहते ही नश्शा-हा-ए-ज़ौक़ कितने ही जज़्बा-हा-ए-शौक़
रस्म-ए-तपाक-ए-यार से रू-ब-ज़वाल हो गए
जौन एलिया
ग़ज़ल
अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
ख़ता किस की है या रब ला-मकाँ तेरा है या मेरा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
वाए नाकामी कहाँ सफ़्फ़ाक ने रोका है हाथ
ज़ख़्म-हा-ए-शौक़ जब कुछ कुछ मज़ा देने लगे
यगाना चंगेज़ी
ग़ज़ल
तबस्सुम छीन लो होंटों का ख़ुशियाँ ज़ीस्त की लेकिन
मिरे अफ़्साना-हा-ए-शौक़ के उन्वान मत छीनो
सुरय्या रहमान
ग़ज़ल
देख ऐ शौक़-ए-नज़र नज़्ज़ारा-हा-ए-दिल-फ़रेब
पर्दा-हा-ए-जुरअत-आमोज़ उस के महमिल से परे
दाऊद ग़ाज़ी
ग़ज़ल
सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए
हज़ारों नामा-हा-ए-शौक़ अहल-ए-दिल के काम आए