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ग़ज़ल
बादल गरजे बिजली कड़के या सावन भादों बरसें
हम सड़कों पे रहने वाले चुप्पी साध के सो लेंगे
मुश्ताक़ सिंह
ग़ज़ल
मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाब
बज़्म-ए-साक़ी में अदब आदाब मत देखा करो