aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kam-sinii"
इस कम-सिनी में देखिए आलम शबाब काजैसे चमन में फूल खिला हो गुलाब का
मैं कम-सिनी के सभी खिलौनों में यूँ बिखरता जवाँ हुआ थादिला मैं तेरे हसीं ख़यालों से डरता डरता जवाँ हुआ था
है अभी दौर-ए-कम-सिनी प्यारेमुस्कुरा 'ऐन शीन क़ाफ़ न कर
मिरे दिल पर है जिस की हुक्मरानीअभी उस में अदा-ए-कम-सिनी है
बचपना कम-सिनी जवानी आजतेरे हर दौर से मोहब्बत है
जब ख़यालात हो गए बूढ़ेतब मोहब्बत पे कम-सिनी आई
मिरे सब हौसले मारे गए हैंतुम्हारी कम-सिनी के फ़ैसलों से
बातें दानाई की वो करता हैकम-सिनी देर तक नहीं रहती
कई इंक़िलाब आए कई ख़ुश-ख़िराम गुज़रेन उठी मगर क़यामत तिरी कम-सिनी से पहले
ये रंग गुलाब की कली कानक़्शा है किस की कम-सिनी का
कम-सिनी में ही कहती थी तेरी नज़रतू जवाँ हो के आँखें बदल जाएगा
ओ जवानों की जान हम से हिजाबयाद है तेरी कम-सिनी हम को
अल्लाह रक्खे तेरी सहर जैसी कम-सिनीदिल काँपता है जब भी तू आती है शाम को
कम-सिनी पर है अजब हाल तुम्हारा यारोसुन लो आसान नहीं उस की जवानी सुनना
ये शोख़ियाँ तिरी इस कम-सिनी में ऐ ज़ालिमक़यामत आएगी जिस दिन शबाब आएगा
बेटा ये उम्र ताब तलब काटने की हैइस कम-सिनी में प्यार न कर इंतिज़ार कर
हुस्न है कम-सिनी के आलम मेंये शब-ओ-रोज़ देख-भाल के हैं
जो कम-सिनी में बढ़ाया करे थे बेचैनीदिया करे हैं बुढ़ापे में वो ख़ुतूत सुकून
करेंगे 'इश्क़ उड़ाएँगे ख़ाक सहरा मेंकि कम-सिनी से हमें इक यही फ़ुतूर रहा
तिरी कम-सिनी के ये मौसम अजब हैंकभी तू है दुर्गा कभी तू है सीता
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