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ग़ज़ल
गंदहा-ए-ना-तराशीदा हैं हम सोहबत मिरी
इन दिनों तो मैं भी ख़ुशबू की तरह संदल में हूँ
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
कहाँ वो क़द कहाँ ये कुंद-हा-ए-ना-तराशीदा
न सर्व ऐसा है ने शमशाद ऐसा है न तूबा है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
दिल तो है ना-आश्ना-ए-बादा-हा-ए-ज़िंदगी
जाम-ओ-मीना का मगर सौदा सर-ए-ग़ाफ़िल में है
अमजद अली ग़ज़नवी
ग़ज़ल
अंदेशा-हा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ तक न आ सके
हम जिस जगह थे लोग वहाँ तक न आ सके
सय्यद मुज़फ़्फ़र अहमद ज़िया
ग़ज़ल
पए-नज़्र-ए-करम तोहफ़ा है शर्म-ए-ना-रसाई का
ब-खूँ-ग़ल्तीदा-ए-सद-रंग दा'वा पारसाई का