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ग़ज़ल
आब-ए-हयात जा के किसू ने पिया तो क्या
मानिंद-ए-ख़िज़्र जग में अकेला जिया तो क्या
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ग़ज़ल
हर एक की हर पसंद ठहरे हर एक का इंतिख़ाब निकले
हमी को अच्छा बताया सब ने हमी ज़ियादा ख़राब निकले
अक़ील नोमानी
ग़ज़ल
सर-निगूँ दिल की तरह दस्त-ए-दुआ हो भी चुके
सिलसिले जिन के जुदा थे वो जुदा हो भी चुके
ख़्वाज़ा रज़ी हैदर
ग़ज़ल
ऐ कि तुझ से ताक़त-ए-परवाज़ बाल-ओ-पर में है
वो बुलंदी दे जो अज़्म-ए-हौसला-परवर में है
मुस्लिम मलेगाँवी
ग़ज़ल
ग़ैर के घर तू न रह रात को मेहमान कहीं
ता ना इस बात का चर्चा हो मिरी जान कहीं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
जब दस्त-ए-जुनूँ जैब-ओ-गरेबाँ से चला है
रुख़ मैं ने रग-ए-जाँ की तरफ़ मोड़ दिया है