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ग़ज़ल
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
सागर पार की ख़बरें देखे हम-साए का पता नहीं
आज का इंसाँ आलम फ़ाज़िल उस को अब समझाए कौन
किश्वर नाहीद
ग़ज़ल
झूटी ख़बरें घड़ने वाले झूटे शे'र सुनाने वाले
लोगो सब्र कि अपने किए की जल्द सज़ा हैं पाने वाले
हबीब जालिब
ग़ज़ल
ठहरने ही नहीं देती हैं घर में शहर की ख़बरें
ज़रा बाहर निकलते हैं तो जाँ ख़तरे में रहती है
रहमान मुसव्विर
ग़ज़ल
ख़बरें कुछ उल्टी-सीधी सी क़ासिद ले कर आया है
गंगा यमुना चुप बैठी हैं सरयू माँगे आज़ादी
हेमा काण्डपाल हिया
ग़ज़ल
इस से पहले कि मिरे खोने की ख़बरें आम हूँ
मेरी कोशिश है कि मैं ख़ुद को दोबारा ढूँड लूँ
सय्यद सरोश आसिफ़
ग़ज़ल
तह मैं कुछ और हैं ऊपर से हैं ख़बरें कुछ और
बा-ख़बर तुम भी नहीं मैं भी ख़बर-दार नहीं