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ग़ज़ल
खजूरें और पानी ले के आगे बढ़ता जाता हूँ
मगर ये कोह-ए-इम्काँ है कि मुझ से सर नहीं होता
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
उन्हें अपने दिल की ख़बरें मिरे दिल से मिल रही हैं
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
सागर पार की ख़बरें देखे हम-साए का पता नहीं
आज का इंसाँ आलम फ़ाज़िल उस को अब समझाए कौन
किश्वर नाहीद
ग़ज़ल
झूटी ख़बरें घड़ने वाले झूटे शे'र सुनाने वाले
लोगो सब्र कि अपने किए की जल्द सज़ा हैं पाने वाले
हबीब जालिब
ग़ज़ल
ख़ुश्क खजूर के पत्तों से जब नींद का बिस्तर सजता था
ख़्वाब-नगर की शहज़ादी गलियों में आन निकलती थी