आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khapaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "khapaa"
ग़ज़ल
या रुख़ को हवा के फेर दे तू या रुख़ पे हवा के बहता चल
संसार खपा ले अपने में संसार में वर्ना खपना है
फ़रहत कानपुरी
ग़ज़ल
अदा-ए-फ़र्ज़ बर-हक़ पर खपा दो दोस्तो जाँ तक
ये वो सौदा है आख़िर को नहीं जिस में ज़ियाँ होगा
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है