आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kheto.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kheto.n"
ग़ज़ल
समझते ही नहीं नादान कै दिन की है मिल्किय्यत
पराए खेतों पे अपनों में झगड़ा होने लगता है
वसीम बरेलवी
ग़ज़ल
पानी की तक़्सीम के पीछे जलते खेत सुलगते घर
और खेतों की ज़र्द मुंडेरों पर कुम्हलाती दो-पहरें
इशरत आफ़रीं
ग़ज़ल
खेतों को मुट्ठी में भरना अब तक सीख नहीं पाया
यूँ तो मेरा जीवन बीता सामंती अय्यारों में
आलोक श्रीवास्तव
ग़ज़ल
वो जो पिछले साल सब खेतों को सोना दे गया
अब के वो तूफ़ान किस किस का मकाँ ले जाएगा