आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "khuddaarii"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "khuddaarii"
ग़ज़ल
ख़ुद्दारी-ओ-महरूमी महरूमी-ओ-ख़ुद्दारी
अब दिल को ख़ुदा रक्खे अब दिल का ज़माना है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
मुझे दुश्मन से भी ख़ुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर क़दमों में सर अच्छा नहीं लगता
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
ख़ैरात की जन्नत ठुकरा दे है शान यही ख़ुद्दारी की
जन्नत से निकाला था जिस को तू उस आदम का पोता है
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
बहुत ही ख़ूब शय है इख़्तियारी शान-ए-ख़ुद्दारी
अगर मा'शूक़ भी कुछ और बे-परवा न हो जाए
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
अमीर-ए-शहर हो कर भी नहीं कोई तिरी इज़्ज़त
तिरे हिस्से में ग़ैरत और ख़ुद्दारी नहीं आई
अब्बास दाना
ग़ज़ल
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
हरीफ़-ए-जोशिश-ए-दरिया नहीं खुद्दारी-ए-साहिल
जहाँ साक़ी हो तू बातिल है दा'वा होशियारी का
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
तरस खाते हैं जब अपने सिसक उठती है ख़ुद्दारी
हर इक ख़ुद्दार इंसाँ को इनायत तोड़ देती है
जावेद नसीमी
ग़ज़ल
अर्ज़-ए-तमन्ना कर के गँवाया हम ने भरम ख़ुद्दारी का
हो गई गो तकमील-ए-तमन्ना दिल को नदामत आज भी है