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ग़ज़ल
अपनी ज़ात के सारे ख़ुफ़िया रस्ते उस पर खोल दिए
जाने किस आलम में उस ने हाल हमारा पूछा था
ज़ुबैर रिज़वी
ग़ज़ल
तलाश-ए-यार में ख़ुफ़िया गए उश्शाक़ दुनिया से
ख़बर भी की न हम को शौक़-ए-मंज़िल हम भी रखते थे
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
जिस शय पर वो उँगली रख दे उस को वो दिलवानी है
उस की ख़ुशियाँ सब से अव्वल सस्ता महँगा एक तरफ़
वरुन आनन्द
ग़ज़ल
उफ़ ये ज़मीं की गर्दिशें आह ये ग़म की ठोकरें
ये भी तो बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता के शाने हिला के रह गईं
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़ज़ल
ख़ुशियाँ आईं अच्छा आईं मुझ को क्या एहसास नहीं
सुध-बुध सारी भूल गया हूँ दुख के गीत सुनाने में
मीराजी
ग़ज़ल
निदा आई कि आशोब-ए-क़यामत से ये क्या कम है
गिरफ़्ता चीनियाँ एहराम ओ मक्की ख़ुफ़्ता दर बतहा
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
जुदा ग़म है जुदा ख़ुशियाँ जुदा दिन है जुदा रातें
ये दुनिया ही निराली है मोहब्बत करने वालों की
अर्पित शर्मा अर्पित
ग़ज़ल
दामन-ए-इश्क़ में रख़्शाँ हैं हज़ारों ख़ुशियाँ
ग़म ही हो इश्क़ की सौग़ात ज़रूरी तो नहीं