आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kirshn-chandr"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kirshn-chandr"
ग़ज़ल
चाँद की किरनों की चादर ने सब के रूप छुपाए हैं
आँखों वाले सब ही जा कर नगरी से लौट आए हैं
माजिद-अल-बाक़री
ग़ज़ल
उस को दावा बहुत मीठे-पन का 'वसी' चाँदनी से कहो
उस की किरनों से कितने ही घर जल गए चाँद को क्या ख़बर