आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kundaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kundaa"
ग़ज़ल
कहाँ वो क़द कहाँ ये कुंद-हा-ए-ना-तराशीदा
न सर्व ऐसा है ने शमशाद ऐसा है न तूबा है
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
दाख़िले पर तख़्तियाँ हैं जिन पे कुंदा नाम हैं
कौन कैसे किस तरह और है कहाँ हैरत-ज़दा
आज़ाद हुसैन आज़ाद
ग़ज़ल
पाया सियाह-बख़्ती-ए-उश्शाक़ ने भी औज
फ़ीरोज़ा-ए-फ़लक पे किया कुंदा नाम-ए-ज़ुल्फ़
अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी
ग़ज़ल
चिड़ियों की चहकार में गूँजे राधा मोहन अली अली
मुर्ग़े की आवाज़ से बजती घर की कुंडी जैसी माँ
निदा फ़ाज़ली
ग़ज़ल
छुरी थी कुंद तेरी या तिरे क़ातिल की ओ बिस्मिल
तड़प भी तू तिरी गर्दन पे क्यूँ इल्ज़ाम आएगा
शाद अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
शबिस्तानों में लौ देते हुए कुंदन से जिस्मों पर
हवा की उँगलियों से वस्ल का पैग़ाम लिख देना
ज़ुबैर रिज़वी
ग़ज़ल
अब तिरी यादों के निश्तर भी हुए जाते हैं कुंद
हम को कितने रोज़ अपने ज़ख़्म छीले हो गए