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ग़ज़ल
फ़ित्ना-सामानी के दिन साग़र-ब-लब शीशा-ब-दस्त
मौत का सामाँ न हो जाए तिरी महफ़िल मुझे
सरफ़राज़ बज़्मी
ग़ज़ल
ये निगह ये मुँह ये रंगत ये मिसी ये लाल-ए-ख़ंदाँ
ग़ज़ब और तिस पे लेना ये ज़बाँ ब-ज़ेर-ए-दंदाँ
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
ग़ज़ल
जिस तरह इंसाँ को ले डूबे हैं शैख़-ओ-बरहमन
लाओ साग़र में डुबो दें मस्जिद-ओ-बुत-ख़ाना हम
जामी रुदौलवी
ग़ज़ल
आरज़ी हैं मौसम-ए-गुल की ये सारी मस्तियाँ
लाला गुलशन में अगर साग़र-ब-दोश आया तो क्या