आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kutub"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "kutub"
ग़ज़ल
इक कुतुब-ख़ाना हूँ अपने दरमियाँ खोले हुए
सब किताबें सफ़्हा-ए-हर्फ़-ए-ज़ियाँ खोले हुए
मुसव्विर सब्ज़वारी
ग़ज़ल
मैं समझता हूँ कि अब सिर्फ़ कुतुब-ख़ानों में
मुँह ज़माने से छुपाए हुए बैठी है बहार