आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "lach"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "lach"
ग़ज़ल
सर पर से तो मंदील को अब दूर कर ऐ शैख़
गर्दन तिरी इस बोझ से अब करती है लच-लच
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
ग़ज़ल
न मैं लाग हूँ न लगाव हूँ न सुहाग हूँ न सुभाव हूँ
जो बिगड़ गया वो बनाव हूँ जो नहीं रहा वो सिंगार हूँ
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
उस एक कच्ची सी उम्र वाली के फ़लसफ़े को कोई न समझा
जब उस के कमरे से लाश निकली ख़ुतूत निकले तो लोग समझे
अहमद सलमान
ग़ज़ल
भुलाता लाख हूँ लेकिन बराबर याद आते हैं
इलाही तर्क-ए-उल्फ़त पर वो क्यूँकर याद आते हैं
हसरत मोहानी
ग़ज़ल
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
चले लाख चाल दुनिया हो ज़माना लाख दुश्मन
जो तिरी पनाह में हो उसे क्या किसी से डरना