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ग़ज़ल
नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल
लाल-ओ-गौहर से भरा ख़ुद है सरापा तेरा
ख़्वाहिश-ए-ला'ल-ओ-अक़ीक़-ए-यमनी ख़ूब नहीं
चंदू लाल बहादुर शादान
ग़ज़ल
मिरे आँसू हमेशा हैं ब-रंग-ए-लाल-ए-ग़र्क़-ए-ख़ूँ
जो ग़ोता आब में तू ने गुहर मारा तो क्या मारा
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
वो भोले-पन से दे दे बोसा-ए-ला'ल-ए-लब-ए-शीरीं
कोई तरकीब ऐसी ऐ दिल-ए-नादान पैदा कर
अब्दुल मजीद ख़्वाजा शैदा
ग़ज़ल
रश्क-ए-ला'ल-ए-लब-ए-लालीं से जिगर-ख़ूँ याक़ूत
शर्म-ए-दंदाँ से है मोती की हर इक लड़ पानी
शाद लखनवी
ग़ज़ल
आ गया हज़रत-ए-सूफ़ी के दर-ए-दौलत पर
क्या करूँ अब गुहर-ओ-लाल-ब-दामाँ हो कर