आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "leve"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "leve"
ग़ज़ल
वो गाए तो आफ़त लाए है हर ताल में लेवे जान निकाल
नाच उस का उठाए सौ फ़ित्ने घुँगरू की झनक फिर वैसी ही
बहादुर शाह ज़फ़र
ग़ज़ल
वो पेट दिल को लपेट लेवे वो नाफ़ जी को समेट लेवे
मज़ार जी का झपेट लेवे कुछ ऐसा पेड़ू फड़क रहा है
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
देखियो नफ़रत कि मेरा नाम गर लेवे कोई
रू-ब-रू उस के, तो फिर वो उस से भी मिलता नहीं
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
जी आ रहा दीदा-ए-तर में मुझे दम लेने की ताब नहीं
ज़ोफ़ एक तरफ़ दर्द एक तरफ़ और काहिश-ए-ताक़त एक तरफ़
वली उज़लत
ग़ज़ल
जहाँ में दिल न लगाने का लेवे फिर कोई नाम
बयाँ करूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
वलीउल्लाह सरहिंदी इशतियाक़
ग़ज़ल
बातों में जो छल लेवे है दिल पीर-ओ-जवाँ का
उस तिफ़्ल-ए-दुआ-बार को देखा तो ग़ज़ब है
मुंतज़िर लखनवी
ग़ज़ल
जान क्या जल्लाद की लेवे दोबारा हुक्म-ए-क़त्ल
मुँह से उस ज़ालिम ने जो यकबार फ़रमाया हुआ
मुंतज़िर लखनवी
ग़ज़ल
वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू अरे ओ 'शकील' कहाँ है तू
तिरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा न दे
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं