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ग़ज़ल
जोश मलीहाबादी
ग़ज़ल
शबनम के अरक़ में हुआ ख़जलत सीती गुल-ए-तर
देखी जो लब-ए-लाल की उस शोख़ के लाली
आफ़ताब शाह आलम सानी
ग़ज़ल
ख़द-ओ-ख़ाल ख़ूबी-आगीं लब-ए-लाल पाँ से रंगीं
नज़र आफ़त-ए-दिल-ओ-दीं मिज़ा सद-मुज़र्रत-अफ़ज़ा
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बुतों की गालियों में भी 'अजब लज़्ज़त निकलती है
जवाब-ए-तल्ख़ मी ज़ीबद लब-ए-लाल-ए-शकर-ख़ा रा
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
बात वो है जो लब-ए-ला'ल-ए-निगाराँ से चले
ख़ूँ भी हो दिल तो ये तासीर कहाँ आती है
शानुल हक़ हक़्क़ी
ग़ज़ल
ऐ दिल जो तुझे जग मने होना है सुर्ख़-रू
तू पिउ के लब-ए-ला'ल-ए-बदख़्शाँ कूँ पहुँच तूँ