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ग़ज़ल
आँखों में जो भर लोगे तो काँटों से चुभेंगे
ये ख़्वाब तो पलकों पे सजाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
किया ग़म-ख़्वार ने रुस्वा लगे आग इस मोहब्बत को
न लावे ताब जो ग़म की वो मेरा राज़-दाँ क्यूँ हो
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हर बात गवारा कर लोगे मिन्नत भी उतारा कर लोगे
ता'वीज़ें भी बंधवाअोगे जब इश्क़ तुम्हें हो जाएगा
सईद राही
ग़ज़ल
तो क्या सारे गिले-शिकवे अभी कर लोगे मुझ से
कुछ अब कल के लिए रक्खो मुझे नींद आ रही है
मोहसिन असरार
ग़ज़ल
वो गाए तो आफ़त लाए है हर ताल में लेवे जान निकाल
नाच उस का उठाए सौ फ़ित्ने घुँगरू की झनक फिर वैसी ही