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ग़ज़ल
लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूँ तो मेहंदी रंग लाती है
आसी ग़ाज़ीपुरी
ग़ज़ल
दिल यही चाहता था 'शनावर' सितारों का मुँह नोच लूँ!
शहर को मैं ने देखा था इक रात मस्जिद के मीनार से