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ग़ज़ल
उस लड़की के पास कहानियाँ कैफ़े की और मालों की
और हमारे सारे क़िस्से नुक्कड़ के चौराहों के
नादिम नदीम
ग़ज़ल
बड़े लोगों के ऊँचे बद-नुमा और सर्द महलों को
ग़रीब आँखों से तकता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं
वसी शाह
ग़ज़ल
ज़मीर-ए-पाक ओ निगाह-ए-बुलंद ओ मस्ती-ए-शौक़
न माल-ओ-दौलत-ए-क़ारूँ न फ़िक्र-ए-अफ़लातूँ
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
ज़र-ओ-माल-ओ-जवाहर ले भी और ठुकरा भी सकता हूँ
कोई दिल पेश करता हो तो ठुकराना नहीं आता
अदीम हाशमी
ग़ज़ल
और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का
सुब्ह का होना दूभर कर दें रस्ता रोक सितारों का
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
तल्ख़ियाँ बढ़ गईं जब ज़ीस्त के पैमाने में
घोल कर दर्द के मारों ने पिया ईद का चाँद
साग़र सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
दिल के मारों का न कर ग़म कि ये अंदोह-नसीब
ज़ख़्म भी दिल में न होता तो कराहे जाते