आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maash"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "maash"
ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
दफ़्तर से उठे कैफ़े में गए कुछ शेर कहे कुछ कॉफ़ी पी
पूछो जो मआश का 'इंशा'-जी यूँ अपना गुज़ारा होता है
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
फिर वही जोहद-ए-मुसलसल फिर वही फ़िक्र-ए-मआश
मंज़िल-ए-जानाँ से कोई कामयाब आया तो क्या
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
नगर में शाम हो गई है काहिश-ए-मआश में
ज़मीं पे फिर रहे हैं लोग रिज़्क़ की तलाश में