आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maayaa"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "maayaa"
ग़ज़ल
रूप को धोका समझो नज़र का या फिर माया-जाल कहो
प्रीत को दिल का रोग समझ लो या जी का जंजाल कहो
सय्यद शकील दस्नवी
ग़ज़ल
'अक़्ल है फ़ित्ना-ए-बेदार सुला दें इस को
'इश्क़ की जिन्स-ए-गिराँ-माया को अर्ज़ां कर दें
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
मुझ सा बे-माया अपनों की और तो ख़ातिर क्या करता
जब भी सितम का पैकाँ आया मैं ने सीना खोल दिया