आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mah-jabii.n"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mah-jabii.n"
ग़ज़ल
दिल में मिरे ख़याल-ए-रुख़-ए-मह-जबीं रहा
साया परी का शीशे में सूरत-गुज़ीं रहा
मुंशी मोहम्मद हयात ख़ाँ मज़हर
ग़ज़ल
कहते हैं याँ कि मुझ सा कोई मह-जबीं नहीं''
प्यारे जो हम से पूछो तो याँ क्या कहीं नहीं
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
चमन में सैर-ए-गुल को जब कभी वो मह-जबीं निकले
मिरी तार-ए-रग-ए-जाँ से सदा-ए-आफ़रीं निकले
ज़ाहिद चौधरी
ग़ज़ल
यादों से ख़ाली दिल की ये किन वादियों के बीच
तन्हा खड़ी हुई हूँ मैं तन्हाइयों के बीच