आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahaaz"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "mahaaz"
ग़ज़ल
सर उठाते हैं यहाँ भी अस्र-ए-हाज़िर के यज़ीद
कल ये ख़ित्ता भी महाज़-ए-कर्बला हो जाएगा
एजाज़ अंसारी
ग़ज़ल
तर्क-ए-तअल्लुक़ कर तो चुके हैं इक इम्कान अभी बाक़ी है
एक महाज़ से लौट आए हैं इक मैदान अभी बाक़ी है
ऐतबार साजिद
ग़ज़ल
गिरे हैं लफ़्ज़ वरक़ पे लहू लहू हो कर
महाज़-ए-ज़ीस्त से लौटा हूँ सुरख़-रू हो कर
इफ़्तिख़ार नसीम
ग़ज़ल
शारिक़ कैफ़ी
ग़ज़ल
ग़म ने हर इक रास्ते में खोल रक्खा था महाज़
हम भी चेहरे पर हँसी का ख़ोल ले कर डट गए
आनन्द सरूप अंजुम
ग़ज़ल
महाज़-ए-जंग पर सीना-सिपर हो कर मैं चलता हूँ
मगर बुज़दिल हमेशा पुश्त पर ही वार करते हैं