aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mahsuus"
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँमैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
हर मुलाक़ात पे महसूस यही होता हैमुझ से कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे
वो कि ख़ुशबू की तरह फैला था मेरे चार-सूमैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था
सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने काजो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है
मिल के हर शख़्स से हुआ महसूसमुझ से ये शख़्स मिल चुका है कहीं
इक 'उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ
तिरे पहलू में क्यूँ होता है महसूसकि तुझ से दूर होता जा रहा हूँ
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
पहुँचा जो तेरे दर पे तो महसूस ये हुआलम्बी सी एक क़तार में जैसे खड़ा हूँ मैं
महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनेंजो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा
हम को महसूस किया जाए है ख़ुश्बू की तरहहम कोई शोर नहीं हैं जो सुनाई देंगे
महसूस ये होता है अभी जाग रहे हैंलाहौर के सब यार भी सो जाएँ तो सोएँ
मिटा कर हमें आप पछ्ताइएगाकमी कोई महसूस फ़रमाइएगा
महसूस हुआ कि बात की हैऔर बात भी वो जो दिल-नशीं हो
मुझे था शिकवा-ए-हिज्राँ कि ये हुआ महसूसमिरे क़रीब से हो कर वो ना-गहाँ गुज़रे
मैं ने महसूस किया जब भी कि घर से निकलाऔर भी लोग कई कर के बहाने निकले
वो मुझसे दूर होता जा रहा है रफ़्ता रफ़्ताअगर उस को कभी महसूस करना पड़ गया तो
महसूस हो रहा है कि तन्हा नहीं हूँ मैंशायद कहीं क़रीब कोई दूसरा भी है
ये और बात कि महसूस तक न होने दूँजकड़ सी लेती है दिल को तिरी कोई कोई बात
बारहा ये हमें महसूस हुआदर्द सीने का ख़ुदा हो जैसे
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