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ग़ज़ल
ब-चमन अब वो किया चाहे है मय-नोश गुज़ार
जल्द ऐ पैक-ए-सबा गुल के ये कर गोश-गुज़ार
जुरअत क़लंदर बख़्श
ग़ज़ल
बादा-ए-ख़ुम-ए-ख़ाना-ए-तौहीद का मय-नोश हूँ
चूर हूँ मस्ती में ऐसा बे-ख़ुद-ओ-मदहोश हूँ
महाराजा सर किशन परसाद शाद
ग़ज़ल
मय की सरमस्ती तिरे शे'रों में पाता हूँ 'वली'
तू मगर शैदा-ए-रंग-ए-'ग़ालिब'-ए-मय-नोश है
वली काकोरवी
ग़ज़ल
क़ब्र उस की पे लाज़िम है ख़ुम-ए-मय का चढ़ाना
जो मस्त कि इश्क़-ए-बुत-ए-मय-नोश में मर जाए
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
ग़ज़ल
मज्लिस में ग़म की ऐ 'सिराज' अब वक़्त आया दौर का
गर ख़ून-ए-दिल मौजूद है मय-नोश हो मय-नोश हो
सिराज औरंगाबादी
ग़ज़ल
किस लिए जाम-ओ-सुराही में है साक़ी ताख़ीर
अब्र-ए-पुर-शोर पए-ख़ातिर-ए-मय-नोश आया
मुंशी ठाकुर प्रसाद तालिब
ग़ज़ल
रिंद-ए-मय-नोश है 'दीवान' ख़ुदा का बंदा
मत बुरा कह उसे क्यों मुफ़्त बुरा होता है
अल-हाज अल-हाफीज़
ग़ज़ल
'साक़ी' वो देख शाहिद-ए-मय-नोश आ गया
लबरेज़ है ये शाएक़-ए-नज़्ज़ारा जाम-ए-शौक़