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ग़ज़ल
चर्ख़-ए-कज-रफ़्तार है फिर माइल-ए-जौर-ओ-सितम
बिजलियाँ शाहिद हैं ख़िर्मन को जलाने के लिए
सय्यद सादिक़ हुसैन
ग़ज़ल
करिश्मे हैं कि नक़्काश-ए-अज़ल नैरंगियाँ तेरी
जहाँ में माइल-ए-रंग-ए-फ़ना हर नक़्श-ए-हस्ती है
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
अपने मरकज़ की तरफ़ माइल-ए-परवाज़ था हुस्न
भूलता ही नहीं आलम तिरी अंगड़ाई का
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
ग़ज़ल
कैफ़ियत दिल की सुनाती हुई एक एक निगाह
बे-ज़बाँ हो के भी वो माइल-ए-गुफ़्तार आँखें
अली सरदार जाफ़री
ग़ज़ल
इतना गहरा रंग कहाँ था रात के मैले आँचल का
ये किस ने रो रो के गगन में अपना काजल घोल दिया