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ग़ज़ल
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है 'फ़राज़'
जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी पी लिया मैं ने
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
उबैदुल्लाह अलीम
ग़ज़ल
तुम्हारे नाम पर मैं ने हर आफ़त सर पे रक्खी थी
नज़र शो'लों पे रक्खी थी ज़बाँ पत्थर पे रक्खी थी